राम मंदिर पर वामपंथी इतिहासकारों की साज़िश | Ram Mandir Ayodhya Dispute Explained |
22 जनवरी को अयोध्या में भव्य राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा होने वाली है। इससे पहले आपको ये बताया कि कैसे इस सपने को पूरा करने के लिए हजारों लोगों ने कुर्बानियां दी। 500 साल तक इसकी लड़ाई लड़ी गई 150 साल तक अदालत में मामला चला। सैकड़ों लोगों ने अपनी जान दी। ना जाने कितने गुमनाम चेहरों ने मंदिर की लड़ाई में अपना जीवन न्योछावर कर दिया। ये तमाम कहानियाँ हैं जो अब तक हम आपको बता चूके हैं। मगर आज के हमारे इस खास पोस्ट में हम आपको उन वामपंथी इतिहासकारों के बारे में बताने वाले हैं जिन्होंने भगवान श्रीराम पर झूठ बोल कर देश को बरगलाने की भटकाने की हमेशा कोशिश की। इन्होंने अदालत में ये तक साबित करने की कोशिश की कि भगवान राम का तो वजूद ही नहीं था अयोध्या एक काल्पनिक शहर था। इतना ही नहीं इन्होंने अदालत को यह भी कहा कि भगवान श्रीराम की पूजा तो सिर्फ 300 साल पहले से होना शुरू हुई तो क्या हैं?
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इन वामपंथी इतिहासकारों की कहानी किन के कहने पर उन्होंने अदालत के सामने ये झूठी कहानी बुनी। कैसे अदालत पहुँचकर ये अपने ही जाल में फंस गए किस तरह अदालत में इनके एक एक झूठ की बखिया उधेड़ी गई, यह सब हम आपको आज डिटेल में बताने वाले हैं। अयोध्या में विवादित ढांचे की जगह कभी भगवान श्रीराम का मंदिर था या नहीं, इस बात को लेकर हिंदू और मुस्लिम पक्ष के बीच बरसों से विवाद रहा था। एक तरफ हिंदू पक्ष हमेशा से मानता था कि विवादित ढांचा या बाबरी मस्जिद को राम मंदिर तोड़कर बनाया गया, वहीं दूसरा पक्ष ऐसी किसी बात से इनकार करता था। 90 के दशक में इस मामले में तूल पकड़ा तो मुस्लिम पक्ष अदालत में एक रिपोर्ट का अक्सर हवाला दिया करता था। इस रिपोर्ट का नाम था राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद रिपोर्ट। द नेशन इस रिपोर्ट को चार वामपंथी इतिहासकारों ने मिलकर तैयार किया था। इन चारों इतिहासकारों के नाम से आरव शर्मा, त्राली, डीएन झा और सूरजभान इन चारों इतिहासकारों ने 13 मई 1991 को गृह मंत्रालय को एक खत के साथ यह रिपोर्ट सौंपी। इस रिपोर्ट का हवाला देकर दूसरा पक्ष लगातार अदालत में साबित करता था कि अयोध्या तो भगवान श्रीराम की जन्मभूमि है ही नहीं। भगवान श्रीराम की पूजा तो अभी 300 साल पहले से ही शुरू हुई और यहाँ तक भी कहा गया है कि भगवान राम का कोई वजूद था भी या नहीं, यह भी तय नहीं है। आपको बता दें, इन इतिहासकारों ने अपनी रिपोर्ट में कहा की जिस स्कंद पुराण का हवाला देकर हिंदू ये दावा करते हैं कि अयोध्या भगवान श्रीराम की जन्म स्थली है। वो स्कंदपुराण खुद 18 वीं 19 वीं शताब्दी में लिखा गया है। सितंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर ऐसी रिपोर्ट बनाने पर इन इतिहासकारों को जमकर लताड़ लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इतने सालों की सुनवाई में हमने पर कई लोगों की गवाही ली। इन लोगों से हिंदू और मुस्लिम पक्ष ने बराबर सवाल पूछे। कई श्लोकों पर सवाल पूछे गए, मगर इस सुनवाई में हमें एक भी ऐसा सबूत नहीं मिला जो यह साबित कर सकें स्कंद पुराण में लिखित साक्ष्य नहीं मिले की 18 वीं शताब्दी के आखिर या 19 वीं शताब्दी में लिखा गया। आपको जानकर हैरानी होगी कि रिपोर्ट बनाने वाले इन चार इतिहासकारों में से एक सूरज भान को जब ये रिपोर्ट में लिखे तथ्यों पर हाइकोर्ट में क्रॉस एग्जामिन किया गया तो उन्होंने अदालत में कबूल किया कि उनके और आरएस शर्मा के अलावा बाकी दोनों इतिहासकार तो अयोध्या गए ही नहीं। यहाँ तक कि उन लोगों ने वेद और पुराण भी नहीं पढ़े। ये सुनकर अदालत के भी तोते उड़ गए की जीस रिपोर्ट के आधार पर दूसरा पक्ष यह साबित करने में लगा है कि अयोध्या में भगवान श्रीराम की जन्मभूमि कभी थी ही नहीं। इस रिपोर्ट के बेस पर भगवान राम को ही काल्पनिक किरदार बताया जा रहा था। उसी रिपोर्ट को बनाने वाले इतिहासकार कभी अयोध्या गया ही नहीं। आइ अरे आये क्या, अभी आगे आए? और तो और जिन चार इतिहासकारों के नाम से ये रिपोर्ट पेश की गई थी, उनमें से एक डीएन झा ने तो इस रिपोर्ट पर साइन तक नहीं किये थे।
ईन वामपंथी हिस्टोरियंस की सुप्रीम कोर्ट में क्या फजीहत हुई और अदालत ने इनके लिए ऐसा क्या कहा जो भारतीय न्याय व्यवस्था में शायद ही पहले किसी के लिए कहा गया हो?
वो सब हम आपको बताएंगे, मगर उससे पहले इन्हीं झूठ की खबर लेते है दोस्तों। हैरानी इस बात की है की ये वामपंथी इतिहासकार ये साबित करने में लगे थे कि भगवान श्रीराम की पूजा तो सिर्फ 300 साल पहले होने लगी है। जबकि आज भी 12 वीं शताब्दी में बने ऐसे कई मंदिर हैं, जिनमें मंदिर की दीवारों पर रामायण की कहानियों बताते हुए शिलालेख बने हुए हैं। ऐसे दो मंदिर आज भी मध्यप्रदेश में है और तीसरा मंदिर तो खुद अयोध्या में था, जिसे तोड़कर बाबर ने वहाँ मस्जिद बनवा ली थी। थोड़ा और बाद में आ जाए तो 13 वी शताब्दी में भारत घूमने आये विलियम फिंच ने अयोध्या का जो ज़िक्र किया है उससे साफ पता चलता है कि वहाँ हर ओर हिंदू थे। विलियम फिंच बताते हैं कि रामकोट में हिंदू ब्राह्मण पुजारी मौजूद हैं जो वहाँ स्नान करने आने वाले हिंदुओं के नाम रिकॉर्ड करते थे। मिस्टर फिंच को ज़ाहिर तौर पर उस जगह की आध्यात्मिक इम्पोर्टेन्स को कुछ पता नहीं था मगर अपने संस्मरण में वो कहीं उस जगह पर नमाज़ पढ़े जाने की बात नहीं करते। लेखक आर नाथ ने उन के इन्हीं संस्मरणों पर इन्डिया आसीन बी विलियम फिंच के नाम से किताब भी लिखी। इसी तरह 17 वीं शताब्दी में एक ऑस्ट्रियन जियोग्राफर भारत आए थे। उनका नाम था जो सिर्फ उनकी लिखी बातें बहुत ज्यादा मायने रखती है। क्यों? क्योंकि वो भारत की विस्तृत यात्रा करने वाले पहले यूरोपियन थे। वो 40 सालों तक भारत रहे। उनमें से उन्होंने सात से 8 साल तो अवध के इलाके में बिताए जो सिर्फ भी अपने संस्मरणों में रामनवमीं के मौके पर बड़ी संख्या में हिंदुओं के जुटने की उन्होंने बात लिखी है। उन्होंने भी अयोध्या में मुसलमानों के नमाज़ पढ़ने या बड़ी संख्या में इकट्ठा होने की कहीं कोई बात लिखी ही नहीं। तो दोस्तों, अगर हम इन दो विदेशी लेख को या पर्यटकों की बात को भी सच मान ले तो वामपंथियों की बात तो झूठी साबित हो जाती है
राम मंदिर को लेकर वामपंथी सोच ने देश को झूठी कहानियाँ क्यों बताई ओर पढ़ाई गई
भारत मे वामपंथी दलों ने अपने राजनीतिक फायदे के लिए राम मंदिर अयोध्या पर झूठी कहानियाँ ओर रिपोर्ट तैयार कारवाई गई ताकि लोगों के सामने सच्चाई नहीं आ सके उन्हें डर था कि अगर लोगों के सामने सच्चाई आगई तो उनका राजनीतिक जीवन समाप्त हो जाएगा क्युकी 1980 से बीजेपी के मेनिफेस्टो मे राममंदिर बनवाने की गारंटी जनता को दी गई थी वामपंथी विचार धारा ने भारतीय कल्चर इतिहास को बहुत नुकसान पहुंचाया है क्युकी भारत मे जो वामपंथी सोच वो सिर्फ एक धर्म के लोगों पर बार बार अटैक कर रहे हैं जिससे जनता मे अब बहुत नाराजगी है दुनिया मे एक एसा मजहब धर्म है जिससे पूरी इंसानियत को खतरा है उसपर कोई वामपंथी नहीं बोलता है हिन्दू धर्म में सहनशीलता है कोई कट्टरता नहीं है
भारतीय वामपंथी अन्य मजहब ओर धर्म पर क्यों नहीं बोलता है?
भारत एक लोकतांत्रिक देश है और यहा बोलने की आजादी है भारतीय संस्कृति में हमेशा से ही बोलने की आजादी अपनी बात को कहने की रही है दूसरी ओर कट्टरता एसी की आज भी 21 वी सदी मे बात करने पर सिर से दड़ अलग करने की धमकी मिलती है ओर डर के कारण कोई बोलना नहीं चाहता है यदि कोई लिखी हुई बात को बोल फिर भी धमकी दी जाती है जिस प्रकार नूपुर शर्मा वाला केश हुआ था
भारत मे सबसे बड़ा हिन्दू संस्कृति को मनाने वाले लोग हैं फिर भी धर्म के नाम पर इमोशनल होकर किसी की कोई हत्या या जान से मारने की धमकी नहीं देता है दुनिया में कहीं भी वामपंथी विचार धारा जहां पनपी जहा के लोगों मे किसी भी खुदा पर यकीन नहीं करने वाले लोगों की संख्या ज्यादा हो भारत का वामपंथ सिर्फ हिन्दू संस्कृति पर बार बार अटैक करता है हज़ारों साल पुरानी कमियां निकालकर ओर बीच मे अपनी झूठी कहानियाँ भी चिपका देते हैं ओर बोलते हैं कि हिन्दू धर्म में महिलाओं पर अत्याचार होता है जैसे सती पार्था के नाम से आक्रमण करते हैं कई अन्य धर्मों में आज भी Londiya, halala, kheti, बहुविवाह, तलाक, मुता निकाह, सेक्स salivary, महिलाओं को बेचना ओर बदले में हत्यार खरीदना, 6 साल की बच्ची से निकाह, महिलाओं की आदा दिमाग, महिलाओ के आदी गवाही, पति को पत्नी को मारने का अधिकार कबर से मुर्दों से सेक्स करना, ओर मरने के बाद 72 हूरो. का रनडीखाना, तलाक देने का अधिकार सिर्फ पुरुषों को, महिलाओं को शोषण जितना इस अंधविश्वासी विचार ने किया है उतना किसी ने नहीं किया भारत मे राजस्थान में जल और अग्नि मे हजारों महिलाओ ने अपने जिस्म को बचाने के लिए बलिदान दिया क्यु की ये सोच जिंदा महिलाओ को सेक्स salev बनाते ओर बेच देते थे मुर्दा महिलाओ को कबर से निकल कर सेक्स करते थे इस वामपंथी इतिहासकारों ने ये सच्चाई कभी नहीं बताई इस अंधविश्वासी सोच की अधिक जानकारी के लिए आपको youtube पर Ex muslim sahil, ex muslim Adam seekar, ex muslim zafar heretic, Ex muslim sameer, ex of Pakistan, ex muslim quran wala, ex muslim Hari sultan, ex muslim Yasmin, ex muslim bhart, ex muslim sachwala, ex muslim didi आदि चैनल देख सकते हैं अच्छी तरह से खुल कर बता रहे हैं जरूर देखे
भारत की वामपंथी सोच ओर इतिहासकारों ने भारतीय संस्कृति ओर यहां की युवा पीढ़ी को कसे बर्बाद किया है
भारतीय संस्कृति पर आक्रमण करने ओर निचा दिखाने से लोग दूसरे धर्मों को बिना पढ़े समझे अच्छा समझने लगता है ओर वह आसानी से किसी ओर धर्म में आसानी से चला जाता है हिंदु संस्कृति मे कोई धर्म छोड़ने या ना मानने पर आक्रमण नहीं किया जाता है जिसका सबसे ज्यादा नुकसान ओर शोषण महिलाओ का हो रहा है क्युकी ल़डकियों को सही इतिहास ओर अन्य धर्मों की सोच को कभी बतया ही नहीं गया है जिससे वे आसानी से किसी अन्य धर्म मे सादी कर लेती है ओर जिंदगी भर सौतेली पत्नी या तलाक ओर हलाला के डर ओर ब्लेक टेन्ट में गुट कर मरने को मजबूर हो जाती है हमे लगता है जो हमारी सोच है वासी सामने वाले की होगी जिसका नुकसान हमे हर दिन समाचारों मे देखने को मिलता है ल़डकियों के सर तन से जुदा हो रहे हैं हमें लगता है ये सब क्यों हो रहा है लेकिन सामने वाला उसे अपना अकीदा समझ कर करता है उनकी सोच है किसी एक को कन्वर्ट करवा कर सदी कर लु तो मरने के बाद 72 ओर जनत पकी है आदि किसी लड़की ने स्पेशल सादी अधिनियम नियम से की है तो वह अपना धर्म नहीं छोड़ती है जिसके कारण वह उसके लिए पत्नी से पहले काफिर होती है ओर काफिर को मरना उनकी विचारधारा के अनुसार अच्छा सवाब का काम माना जाता है काफिर को मारने या अपने धर्म मे लाने से जनत के दरवाजे खुल जाते हैं ये कोई नहीं बताना चाहता है आप खुद Ex muslim जो चीला चीला कर बता रहे है भारत को बर्बाद होने से बचा लीजिए क्युकी ये विचारधारा हावी हो जाती है तो भारत के भी अफगानिस्तान, पाकिस्तान, सीरिया, इराक, लेबनान, ईरान, सूडान, यमन, जोर्डन, फिलिस्तीन, इजिप्ट, युगांडा, Azerbaijan, सोमालिया, बांग्लादेश के भी हालत अच्छे नहीं है ओर पूरी लिस्ट नीचे दी गई है
कुछ गिनेचुने थोड़े से संगठनों की वजह से आप पूरी कौम को बदनाम नही किया जाना चाहिए। बस ये गिने चुने गिरोह हैं जो इस्लाम के नाम पर आतंक फैलाने का काम करती हैं, आइये देखते हैं
भारत मे ये विचारधारा वामपंथ की वज़ह से हावी हो जाती है तो क्या होगा?
अगर भारत मे आने वाले समय मे ये विचारधारा हावी हो जाती है तो भारत के भी हालात पाकिस्तान मे हो रहा है वो ही होगा ओर उस समय वामपन्थ विचार अपनी जान बचाने के लिए बिल मे जले जाएगे उसके बाद लोकतंत्र, बोलने की आजादी, विचारों अभिव्यक्ति सब खत्म हो जाएगी
तुष्टीकरण क्या है ओर भारत मे लंबे समय तक तुष्टीकरण किया गया
भारत मे बोट बैंक की राजनीति के चलते पिछले 70 सालो मे आजादी के बाद किसी एक धर्म विशेष के लिए सकार द्वारा विशेष छूट या नियम संविधान के खिलाफ बनाना संविधान के अनुसार किसी धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं होना चाहिए लेकिन भारत मे खूब भेद भाव किया गया है जैसे मंदिरों को सरकार ने अपने कब्जे में लेकर पूरा पेसा अपने कब्जे में कर लिए लेकन अन्य धर्मों के मस्जिद मजारो को इस नियम से बाहर कर दिया ओर अन्य वफ्फ बोर्ड बनाकर दिया जिसके पास असीमित सकतीं दी गई जिसके कारण भारत मे पंजाब राज्य के क्षेत्रफल के बराबर जमीन पर अतिक्रमण हो गया है सहा बनो केस, मदरसों को आरटीआई, से बाहर कर दिया, अलग से पर्सनल शरीयत कानून, गुंडा टेक्स वसूली ले लिए हलाल सर्टिफिकेट कंपनियां, हिन्दू धार्मिक स्थलों को तुड़वाना, आतंकवादियो को जेल से रिहा करवाना, अलग से अल्पसंख्यक मंत्रालय बनाकर लाभ पहुंचाना, मक्का मदीना हज पर जाने वालों को सब्सिडी चालू करना, मंदिर जाने वालों पर गोली चलाकर किसी एक समुदाय को कुश करना
भारत को इस विचारधारा से कसे बचाये जाए?
भारत को बचाने के लिए लोगों को एजुकेट करना होगा जिसमें सबसे बड़ा योगदान एक्स मुस्लिमों का रहेगा क्युकी उनको इस अंधविश्वासी विचारधारा को अच्छे से पाढ़ा है ओर जिस भाषा ये लिखी गई हैं उस पर इनकी अच्छी कमांड है साथ में आने वाली पीढ़ी को सही इतिहास पढ़ाना होगा भारत के इतिहास को वामपंथी पार्टियों ने अपनी सोच के अनुसार तैयार किया गया है हमे ये तो बताया गया कि अंग्रेजो ने जलियांवाला वाला हत्याकांड मे सेंकड़ों लोगों को मार दिया लेकिन ये नहीं बताया कि केरल के मालाबार मे मोपला हत्याकांड मे 15 हजार से ज्यादा हिन्दू बच्चों ओर आदमियों, महिलाओ को तलवार से काट दिया गर्भवती महिलाओं के पेट काट दिए स्थन काट दिए 1946 मे कोलकाता में डायरेक्ट एक्शन दे हत्याकांड मे 15 से 20 हज़ार हिन्दुओ का एक दिन मे कत्ल किया गया था नुआखली हत्याकांड मे हज़ारों हिन्दूओ का कत्ल किया गया 1951 मे रजाकर फ़ोर्स ने हजारों हिन्दूओं का कत्ल हुआ 1990 मे कश्मीर के पंडितों का नरसंगहार किया गया इससे पहले विदेशी आक्रमणकारी जो किसी अपनी विचारधारा के कारण लाखो नहीं करोड़ों लोगों की हत्याएं की जो अपनी एक तलवार से हज़ारों मासूम लोगों की गर्दन उतर देते थे
क्या भारत मे इस विचारधारा का असर आने लगा है
हाँ भारत का बटवारा इसीलिए हुआ था लेकिन अब जम्मू कश्मीर के अलावा पश्चिम बंगाल, ओर केरल आसाम मे आप हालत देख सकते हो पश्चिम बंगाल में पंचायत के चुनाव में सो से डेड सो लोगों की हत्या हो जाती है केरला भारत का सबसे साक्षरता दर वाला राज्य है लेकिन केरला से isis जैस आतंकवादी संगठन को जॉइन करते हैं